Monday 26 December, 2011

पृथ्वी के बहने

प्रिय मित्र,

नासा   के केपलर  अभियान  में  पृथ्वी के हमशक्ल दो  अन्य  ग्रह  खोजे  गये है. केपलर  20 इ  तथा केपलर  ऍफ़  नाम  के दोनों  ग्रहों  पर  जीवन  की  संभावना  बताई  जा  रही  है.  नेचर   पत्रिका  के अनुसार एक ग्रह  का व्यास  पृथ्वी के व्यास  से  3 प्रतिशत  ज्यादा  है तथा दुसरे का १५ प्रतिशत  कम  है.
जीवन  की  अन्य  ग्रहों  पर  संभावना  की  तलाश  जारी  है... यही उत्साहवर्धक है.

आपका हितैषी

Wednesday 7 December, 2011

ब्रह्माण्ड पर प्रयोग में भारतीयों की भूमिका

प्रिय मित्र,

यूरोपियन परमाणु अनुसन्धान संगठन द्वारा ब्रह्माण्ड की उत्तपति के सम्बन्ध में पता लगाने के लिए किये जा रहे महाप्रयोग में भारत की भी महत्वपूर्ण वज्ञानिक और तकनीक सहयोग है.

अल्बर्ट आइंस्तेन के सापेक्षिता के सिद्धांत को चुनोती दे सकनी वाली इस खोज में भारत की अहम् योगदान है. सर्न नाम से जाने जा रही संस्थान  ने   प्रकाश से अधिक गति से यात्रा करने वाले नयूत्रिनो की खोज  करने की दावा किया है जिससे अल्बर्ट आइंस्तेन का सिद्धांत पुराना पर  जाता है.

सर्न के प्रवक्ता पोओलो गुअबलिनो के शबदो में, भारत परियोजना के ऐतेहासिक पिता की  तरह है. उन्होंने  यह  भी कहा की  भारतीय वज्ञानिको ने इसमें काफी यागदान किया है जिसका उद्दश्य एक नियंत्रित वातावरण में बिग बेंग प्रभाव पैदा कारन था. उक्त प्रोजेक्ट्स में 100 भारतीय वज्ञानिको ने दिन-रात  काम किया और 10 भारतीय इसमें  सामान  रूप  से  हिस्सेदार   भी रहे.


जय    भारत !

आपका हितैषी

Tuesday 6 December, 2011

वंडर पिल की तैयारी

प्रिय मित्र,


ऑस्ट्रेलियाई वैज्ञानिको ने आने वाले ५ वर्षो में ऐसी वंडर पिल की तैयारी करने में  जुटे है जिससे १५० साल से भी अधिक उम्र तक जीना संभव होगी. न्यू साउथ वेल्स युनिवेर्सिटी के प्रोफ़ेसर पीटर स्मिथ और उनकी टीम ने अध्ययन के दौरान रेड वाइन  में मौजूद रेसवेरात्रल में साइरुटिन का स्तर बढ़ने की अदभुत क्षमता पी है. चूहे, कचुए, और मधुमाखी समेत कई जीवो की उम्र बढ़ने में इस प्रोटीन की अहम् भूमिका है . इस न्यू खोज से उम्मीद है की जीवन अवधी में वृधि हो.


है न मजेदार!


 आपका हितैषी

Thursday 1 December, 2011

विश्व एड्स दिवस

प्रिय मित्र, 

आज विश्व एड्स दिवस है. जैसा की आप जानते है की एड्स का पूर्ण रूप Acquired  Immune Deficiency Syndrome है. यह एच आई वी (ह्यूमन immune virus)  नामक विषाणु के रक्त में प्रवेश हो जाने से फैलता है. 
एच आई वी १/१००० मिमी व्यास का एक गोलाकार विषाणु है. इसमें अनुवानशिक पदार्थ के रूप में आर एन ऐ विद्यमान रहता है. 





एच आई वी का संक्रमण ४ तरह से होता है:


  1. एच आई वी पोजिटिव व्यक्ति के साथ यौन सम्बन्ध बनाने से.
  2. एच आई वी पोजिटिव व्यक्ति के रक्त आधान से.
  3. एच आई वी पोजिटिव माँ से गर्भ में पल रहे बच्चो में. 
  4. एच आई वी पोजिटिव व्यक्ति के प्रयोग किये गए ऐसे साधन जिसमे उसके रक्त का संपर्क हो यथा सुए , रेजर , चाकू आदि . 
एच आई वी संक्रमित व्यक्ति में रोगों से लड़ने की क्षमता को नस्ट कर देता है. एच आई वी संक्रमण से बचने के लिए निम्नाकित बातो पर ध्यान देना चाहिए.
  1. अजनबी साथी के साथ यौन सम्बन्ध न करे.
  2. रुधिर आदान के समय उचित जाँच हो.
  3. एच आई वी पोजिटिव व्यक्ति के प्रयोग किये गए ऐसे साधन जिसमे उसके रक्त का संपर्क हो यथा सुए , रेजर , चाकू आदि से बचाना चाहिए 
  4. सतर्कता तथा जागरूकता का ख्याल रखे.

एड्स के लक्षण इस प्रकार है:
  • लम्बे समय तक बुखार 
  • सिरदर्द 
  • थकन
  • हैजा 
  • लसीकाओ में सुजन
  • तेजी से वजन में कमी
  • सुखी खासी 
  • सोते समय पसीना आना
  • एक हफ्ते से अधिक दस्त 
  • भुलने की आदत
  •  मुह, पलको के निचे लाल या गुलाबी धब्बे पड़ना आदि.
आशा है, आप इन बातों का ख्याल रखेंगे.

आपका हितैषी 

Wednesday 30 November, 2011

पृथ्वी की आयु

प्रिय मित्र, 

19 वीं सदी तक रेडियोधर्मी आइसोटोप की क्षय की दर के आधार पर पृथ्वी की उम्र का निर्धारण किया जाता रहा था. आधुनिक वैज्ञानिको का सुझाव है की पृथ्वी 4.5 अरब से भी अधिक साल पुरानी है. पृथ्वी पर अब तक ज्ञात चट्टानों से यही पता लगता है की पृथ्वी 4.5 अरब साल प्राचीनतम है. भूगर्भिक समय  को युग जैसी और कई छोटी इकाइयों में विभाजित किया गया है. भूगर्भिक समय के उस पैमाने से जीवन के विकास पर प्रकाश डाला जा सकता है. बिभिन्न भूगर्भिक इकाई निम्नवत है.


है न मजेदार!

आपका हितैषी


Tuesday 29 November, 2011

विज्ञान और वैज्ञानिक विधि

प्रिय मित्र, 

विज्ञान एक उद्देश्य पूर्ण , तार्किक सिद्धांतों और प्राकृतिक जगत में सक्रिय बलों को समझने का प्रयास है. विज्ञान लैटिन शब्द, Scientia, से बना है जिसका अर्थ ज्ञान है. विज्ञान परीक्षण और मूल्यांकन की एक सतत प्रक्रिया का रूप है. 
  
मनुष्य स्वाभाव से स्वयं से पुछने लगता है दुनिया में हम "क्यों" रहते है. बच्चो का प्रश्न करते रहना इसका उत्तम उदहारण है. विज्ञान का मतलब है उन "क्यों" के कुछ जवाब दे . जब हम किराने का सामान के लिए दुकान करने के लिए जाते है , हम वहा भी वैज्ञानिक वार्गिकारण के प्रयोग की व्यवस्था देख सकते हैं. 

वैज्ञानिक विधि में आमतौर में निम्नाकित कदम शामिल होते हैं:

1. निरीक्षण: इसमें समस्या को परिभाषित किया जाता है .
2. हाइपोथीसिस: इसमें अवलोकन के लिए एक या एक से अधिक स्पष्टीकरण दिए जाते है .
3. प्रयोगों: एक या एक से अधिक हाइपोथीसिस का परीक्षण का प्रयास इसमें होता है .
4. निष्कर्ष: इसमें परिकल्पना समर्थित था या नहीं? इसका निर्धारण किया जाता है. इस कदम के बाद परिकल्पना को या तो संशोधित किया जाता है या फिर खारिज कर दिया जाता है. 

इस प्रकार से विज्ञानं बनता है. 

अद्भुत है न! 

आपका हितैषी

ड़ोप्लेर प्रभाव का जनक

प्रिय मित्र, 

२९ नवम्बर १८०३ में (आज ही के दिन ) महान ऑस्ट्रियाई भौतिकविद क्रिस्चन ड़ोप्लेर को जनम हुआ था. उन्हें  ड़ोप्लेर प्रभाव का जनक माना जाता है. ड़ोप्लेर प्रभाव १८४२ में सामने आई. इनकी मृत्यु  १७ मार्च १८५३ में इटली में हुआ.



क्या आप जानते है की ड़ोप्लेर प्रभाव क्या है?

ड़ोप्लेर प्रभाव के अनुसार, जब कोई गतिशील ध्वनि स्रोत हमारे करीब आता है तो ऐसा लगता है की ध्वनि की तीब्रता धीरे धीरे बढ़ रही है और जब कोई गतिशील ध्वनि स्रोत हमसे दूर जा रही होती है तो ध्वनि की तीब्रता धीरे धीरे घटती जाती है. 

ड़ोप्लेर ने ही बताया था की ध्वनि तरंगो के रूप में चलती है. करीब आने पर ध्वनि की तीब्रता तथा आव्रती बढ़ती जाती है और दूर जाने पर घटती जाती है.

सचमुच,  विज्ञान  है अद्भुत ! 

 आपका हितैषी